गले सर्पो की माला तन भस्म रमा के,
हो कर नंदी पर सवार दुलहा बन कर भोले आये है गोरा जी के लाल,
तीनो लोको की स्वामी के बारात में ,
भ्र्म जी विष्णु जी आये है साथ में,
भूत प्रेतों की टोली कर ती चली है ठिठोली आगे भोले पीछे बाराती साथ,
दुलहा बन कर भोले आये है गोरा जी के लाल,
ओड़गदानी का देख के रंग और रूप,
माता मैनावती गबराई कैसा है रूप,
की है गोरा ने विनती स्वामी कुछ तो करो युक्ति जरा सूंदर रूप दिखाओ न,
दुलहा बन कर भोले आये है गोरा जी के लाल,