खड़ी खड़ी क्यूँ हालै गौरा

क्यू खड़ी खड़ी क्यूँ हालै गौरा चाल कसूती चालै,
तू चाल कसूती चालै आज कसूती चालै,
आज कर के चोटी ढीली भोले भंग मन्ने भी पी ली,
भंग मन्ने भी पी ली आज भंग मन्ने भी पी ली…….

यु रिस्क लिया ना करते रे गौर भंग पिया ना करते,
हे रै भंग लिया ना करते न्यू भंग पिया ना करते,
बिन सोचे समझे ऐसे गौरा भंग पिया ना करते…..

ओ मनै ठा लिया किंदी सोटा मैं पीऊँगी भर भर लौटा,
मनै ठा लिया किंदी सोटा मैं पीऊँगी भर भर लौटा,
पीऊँगी भर भर लौटा मैं पीऊँगी भर भर लौटा,
आज कर क छोटी ढीली भोले भंग मनै भी पी ली………..

मैं बात कहूं सु साची रै या चीज नहीं सै आच्छी,
मैं बात कहूं तानै साची रै या चीज नहीं सै आच्छी.
या चीज नहीं सै आच्छी भंगिया चीज नहीं सै आच्छी,
गौरा बात कहूं सु साची रै या चीज नहीं सै आच्छी…

जब चीज नहीं सै आच्छी तो क्यूँ रोज घुटावै काची,
क्यूँ रोज घुटावै काची भोले क्यूँ रोज घुटावै काची,
आज कर क छोटी ढीली भोले भंग मनै भी पी ली…….

क्यूँ इतणी छो म होरी मैं कहूं कान पकड़ क सॉरी,
क्यूँ इतणी छो म होरी मैं कहूं कान पकड़ क सॉरी,
अरै कान पकड़ क सॉरी मैं भी भंग पीऊं ना गौरी,
रै क्यूँ इतणी छो म होरी मैं कहूं कान पकड़ क सॉरी…….

वो महेन्दर सादा भोला माहरा मिट ग्या घर रोला,
तनै भंग छोड़ दी भोले माहरा मिट ग्या घर रोला,
आज फौजी कर्मवीर गावै गाकै शिव गौरा नै मनावै.
तनै भंग छोड़ दी भोले माहरा मिट ग्या घर रोला…
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