ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय
महाकाल उज्जैयनी के राजा,
भक्तों के सब, कारज साजा,
ओम शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय
महाकाल नाम, लगे अति प्यारा। जपते ही मन को, करे उजियारा,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
दक्षिण मुखी महाकाल विराजे। हरसिद्धि मां भी, पास विराजे,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
नीलकंठ भोले त्रिपुरारी । करते सदा, नंदी असवारी,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
भक्त जन तेरा, ध्यान लगावे। तीनों ताप को, पल में मिटावे,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
अंग कांति को, देख मन मोहे । डमरु और त्रिशूल कर सोहे ,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
अंग अंग में, भस्म रमाए । सर्प माल गले, में लिपटाये,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
कालकूट विष, पिया भयंकर । रौद्र रूप, जिनका प्रलयंकर ,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
गणपति जिनकी, गोद विराजे । कार्तिकेय कंधे, पर साजे ,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
वाम अंग में, शैल कुमारी । वीरभद्र करते, रखवारी,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
कालों में महा काल कहावे। भक्तों की बाबा, बिगड़ी बनावे,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
श्रावण मास की, शाही सवारी। देखन आवे यहां, लाखों नर नारी,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
दर्शन जिनका, मंगलकारी । भक्त जनों के, भय दुःख हारी ,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
सुर, नर, मुनि सब, ध्यान लगावे। परम कृपा बाबा, भोले की पावे,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
जय जय जय भोले, नाथ हितकारी। दुनियां कहती है,शिव त्रिपुरारी,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
ताण्डव देख, भवन थर्राया । त्रिपुरासुर को, मार गिराया,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
शिव की महिमा सबसे न्यारी । चारों वेदों में, है उजियारी,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
आशुतोष सबके, हितकारी । जटा जूट में, गंगा धारी,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
चौरासी महादेव अति पावन। भक्तजनों को लगे, अति मनभावन,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
'सत्य' विनय अब, सुनो हमारी। शरणागति हमें, दो त्रिपुरारी,
ओम नमः शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।।
महाकाल उज्जैयनी के राजा,भक्तों के सब, कारज साजा,
ओम शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय। ओम शिवाय शंभू ओम नमः शिवाय।,
रचियेता-सतीश गोथरवाल 'सत्य '
स्वर -हिमानी यादव, गजेन्द्र प्रतप सिंह
संगीत - विजय गोथरवाल