खाटू की गलियां सजी सजा सुंदर दरबार है,
ग्यारस की रात है बाबा का साथ है,
बाबा के दरबार की शोभा कितनी अजब निराली है,
फूलो से सजा बाबा सारी दुनिया मत वाली है,
बाबा के दर्शन को आई भगतो की बरात है,
ग्यारस की रात है बाबा का साथ है,
शीश का दान किया बाबा ने दानी खूब कहलाता है
करता प्रेम अपने भगतो से नही उनको बहलाता है,
भजनों की गंगा बेह रही भावो की बरसात है,
ग्यारस की रात है बाबा का साथ है,
किरन की आँखों की किरने जब बाबा से मिल जाती है,
मन पावन हो जाता है मन की कलियाँ खिल जाती है,
राजू देखो मुझको मिली कितनी सुंदर सोगात है,
ग्यारस की रात है बाबा का साथ है,