ए मईया थारे से अरज लगाईं ,शाकम्भरी ए माई ,
बिगड़ी बनादे म्हारी मावड़ी , नईया पार लगादे म्हारी मावड़ी |
थारी महिमा शाकम्भरी माँ सारी दुनिया जाने ,
शक्ति थारी है बड़ी भारी , जग सारो पिचाने ,
तू ही रुद्राणी और ब्रम्हाणी , सकराय की हे महारानी ,
बिगड़ी बना दे म्हारी मावड़ी ,ओ नईया पार लगादे म्हारी मावड़ी |
दुर्गम को संहार कियो माँ,शाकम्भरी बन आयी ,
सहस्त्र नैनो से बरस्या आंसू,माँ सताक्षी कुहाई ,
ए मईया साँची तेरी सकलाई,शक्ति रे तेज सवाई ,
बिगड़ी बना दे म्हारी मावड़ी ,ओ नईया पार लगादे म्हारी मावड़ी |
एक सेठ की नांव भंवर में जब थी डूबन लागि ,
टेर सुनी माँ भगत की नईया पल में पार लगादी ,
म्हे भी बालक हाँ तेरा माई , थां बिन कुन होवे सहाई ,
बिगड़ी बना दे म्हारी मावड़ी ,ओ नईया पार लगादे म्हारी मावड़ी |
ए मईया थारे से अरज लगाईं ,शाकम्भरी ए माई ,
बिगड़ी बनादे म्हारी मावड़ी , नईया पर लगादे म्हारी मावड़ी |
भजन गायक - सौरभ मधुकर
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