भर पिचकारी बिहारी डारी मार गयो री

भर पिचकारी बिहारी डारी मार गयो री,
कान्हा हट को हठीलो रंग डार गयो री,

कर भर जोरी ये बहियाँ मरोड़ी बिगाड़ गयो ये चुनरी मेरी,
मोरी काया रंगीली कर गई मोरी भोली जान के खेलो धट धट होली .
कर होश्यारी हमारी साडी फाड़ गयो री,
कान्हा हट को हठीलो रंग डार गयो री,

लाल लाल गाल कर मल के गुलाल,
लाल लाल की शर्म से गोपाल ने,
हाल बेहाल किहनो नन्द के लाल ने,
मोरी इक न चाली बांकी हर चाल में,
मन होरी आ री मुरारी रंग डाल गयो रे ,
कान्हा हट को हठीलो रंग डार गयो री,

ब्रिज बंद श्री चंद आदान मुकंद कण शरचंद कीह्नु मेरे चंद ने,
तिलक धारी सुभाष नन्द को नंदन,
रमन भाइयाँ भी करते छत छत वंदन,
रंग दियो कान्हा ने मोहे झाडी पार गयो री,
कान्हा हट को हठीलो रंग डार गयो री ॥

@ ललित गेरा (SLG Musician)
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