आये है मेरे रघुनाथ सुन भरत जब ये बात सियां राम लखन के साथ साथ,
साथ हनुमान भी आये भरत मन में हर्षाये,
राम जब वन से आये संग हनुमत को भी लाये
आये है मेरे रघुनाथ सुन भरत जब ये बात सियां राम लखन के साथ साथ,
जब सुनी राम के मुख से महावीर की गौरव गाथा,
बजरंगी के चरणों पर झुक गया भरत का माथा,
कहा भरत ने जोड के हाथ धन्य हुआ दर्शन पाके ,
भरत मनमे हर्षाये,
राम जब वन से आये संग हनुमत को भी लाये
हनुमान जो तू न होते तो कौन संजीवनी लाता,
माँ सिया की सुध लेने को था कौन था लंका जाता ,
पातळ से तुम ही नाथ राम और लखन बुलाये,
राम जब वन से आये संग हनुमत को भी लाये
श्री राम चन्दर को तुम से संकट से सदा उभारा,
हर जन्म में संकट मोचन मैं रहु गा ऋणी तुम्हारा
मुझ रहेगा हर पल याद गांव तुम राम के आये,
राम जब वन से आये संग हनुमत को भी लाये