कहाँ छुपे हो राम हमारे , रो रो भरत जी राम पुकारे।

कहाँ छुपे हो राम हमारे,
रो रो भरत जी राम पुकारे।
होंठ है सूखे प्यास के मारे।

तुझ बिन अधूरा हुँ मै, प्राण गए क्यों तन से छोड़ के।
अवध भी लागे सुना, जब से गए होI  
तन को छोड़के  अब मै जियूँगा किसके सहारे

अब तो महल भी लागे, जैसे कोई समसान है।
कल थी जहाँ खुशहाली आज लगे वीरान है.
क्या लिखा है भाग्य हमारे

श्रेणी
download bhajan lyrics (666 downloads)