सझ धज के मुरली हाथ में थामे हुए बैठे है,
वो देखो आज संवारे जादू चला रहे है,
सझ धज के मुरली हाथ में थामे हुए बैठे है,
माथे पे मोर पंख का देखो मुकट सजे,
नो लखा हार श्याम पे देखो बड़ा जचे,
मीठी हसी से मोहन हम को लुभा रहे है,
कजरारे नैन श्याम के घुंगराले केश है,
काँधे पे काली कमली है ग्वाले का वेश है,
नजरो के तीर मोहन हम पे चला रहे है,
सझ धज के मुरली हाथ में थामे हुए बैठे है,
जादू चला के श्याम ने घ्याल सा कर दिया,
बांकी अदा से हम को पागल सा कर दिया,
मुरली की धुन पे हम को मोहित नचा रहे है,
सझ धज के मुरली हाथ में थामे हुए बैठे है,