गोपाल सहारा तेरा है नंदलाल सहारा तेरा है
मेरा और सहारा कोई नहीं गोपाल सहारा तेरा है ,
हे गोविन्द हे गोपाल हे गोविन्द हे गोपाल
कन्हैया को एक दिन रो के पुकारा,
कृपा पात्र किस दिन बनूंगा तुम्हारा,
मेरे साथ होता है प्रति सन तमाशा ,
हृदय में असक हृदय में निराशा ,
तमाशा भी कैसा .....
प्यारे ज्यादा नहीं दिनभर में शन भरके लिए तेरी याद आ ही जाती है
और तेरी याद आने का प्रतीक ये आशु बहने लगते हैं
क्या तुम्हारे लिए ये आशु की कोई कीमत नहीं
ये यू ही बहते रहेंगे लेकिन मैं जानता हूं
कभी ना कभी तुम भी इस बात को समझोगे
और इन आशुओं की कीमत तुम्हें बयाज सुधा चुकानी होगी
लेकिन तू मेरा यार है जब भी तुम मुझसे मिलने आओगे
तो मैं इन पत्येक आशुओं की कीमत बायाज सुधा लूंगा
और ब्याज भी कैसा में तुम्हे कहूंगा नाच कर दिखाओ
प्यारे मुरली बजा कर दिखाओ प्यारे मेरे लिए माखन चुराओ
और तुम्हे करना पड़ेगा और मन्हे सुन्न रखा है
प्रभु का मान भले टल जाए भक्त का मान ना टलते देखा
मैं कहूंगा नाच कर दिखाओ मेरे लिए माखन चुराओ तो तुम्हे करना पड़ेगा
क्युकी मैन्हे सुन्न रखा है प्रभु का मान भले टल जाए भक्त का मान ना टलते देखा
मेरे साथ होता है प्रति शन तमाशा
हृदय में अशक हृदय में निराशा
कई जन्मों से पल में पलके बिछाई
ना पूरी हुई एक भी दिल की आशा
सुलगती भी रहती करो आग ठंडी
भटकती लहर को दिख दो किनारा
एक बात यहां जरूर कहूंगा प्यारे
भटकती लहर को दिखा दो किनारा प्यारे
समुन्द्र का उसकी लहर से एक समंध होत्ता है
मैं भी कभी कभी सोचता हूं कि तुमसे कोनसा सम्बन्ध स्थापित किया जाए
भाई का यार का माता पिता का गुरु का
लेकिन प्यारे तुम्हरी ही प्रेरणा से ये बात दिल में आती
की तुम ही प्यारे एक मात्र इससे हो
हर संबद्ध का निर्वाह कर सकते हो
बाकी संसार के सब भौतिक रिश्ते नाते है
सब केवल स्वार्थ के कुछ ही क्षण भरके रिश्ते नाते है
इसलिए सुलगती भी रहती करो आग ठंडी
भटकती लहर को दिखा दो किनारा
कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा
कृपा पात्र किस दिन बनूंगा तुम्हारा
कभी बासुरी ले के इस तन पे आओ
कभी बनके खन बनके अमृत बरसाओ
कभी बनके खन बनके अम्बर पे छाओ
भूझा है मेरी मन्न की कुटिया का दीपक
कभी करुणा दृष्टि से इस को जगाओ
बता दो कभी अपने श्री मुख कमल से
कृष्ण प्यारे .......
बता दो कभी अपने श्री मुख कमल से
कहा खोजने जाऊ अब और सहारा
मैंने भी इस संसार में ही सारे जितनी भी समस्याएं आए है,
सबके लिए में सहारा यूहीं ढूंढता रहा
लेकिन जो रसिक जन संत जन तेरी रह पर है
तुझे पाने की ओर अगर्षण हो चुके हैं उनसे मैन्हे सुनना है
ये संसार के जो रिश्ते है ये शहनिक भर के है
साथी है मित्र जंग के जल बिंदु पान तक
अर्धागनी बनेगी केवल मकान तक
परिवार के सब संग चलंगे केवल समशान तक
बेटा भी हक निभाएगा केवल अग्नि दान तक
इसके तो आगे प्यारे तुम्हारा भजन ही है साथी
भजन के बिना तू अकेला रहेगा ये मन्न रे दो दिन का मेला रहेगा
कायम ये मन्न का झमेला रहेगा इसलिए प्यारे....
बता दो कभी अपने श्री मुख कमल से
कहा खोजने जाऊं अब और सहारा
कन्हैया को इक रोज़ रो के पुकारा
कृपा पात्र किस दिन बनूंगा तुम्हरा
गोपाल सहारा तेरा है नंदलाल सहारा तेरा है
मेरा और सहारा कोई नहीं मेरा और सहारा कोई नहीं
गोपाल सहारा तेरा है.......
- ललित गेरा (SLG)