शनि देव रूठा रे आस्मां टुटा,
आज मेरे जीवन में हार हो गई,
नसीब का फेरा उल्टा रे,
शनि देव रूठा रे आस्मां टुटा,
शनि राजा ने माया दिखाई हंस ने कैसे माला खाई,
अपराध किसका किसको सजा,
कैसा जे नयाये झूठा रे,
शनि देव रूठा रे आस्मां टुटा,
कल का राजा आज भिखारी कैसे हुआ रे मैं अभिचारी,
मैं सब का था कोई न मेरा,
फूल बना आज कांटा रे,
शनि देव रूठा रे आस्मां टुटा,
राजा महल श्मशान हुआ है,भाग जला वीरान हुआ है,
चारो तरफ से संकट का तूफ़ान कैसा उठा रे,
शनि देव रूठा रे आस्मां टुटा,
नर्क यातना न सेह नहीं सकता जी नहीं सकता मर नहीं सकता,
इस हालत में जाऊ कहा मैं सब कुछ मेरा लुटा रे,
शनि देव रूठा रे आस्मां टुटा