हे रघुवर तेरी आरती गाऊ आरती गाऊ प्यारे तुम को रिजाऊ
शीश पे रघुकुल मुकुट विराजे , गले पीतांबर सुंदर साजे
चरणों में तेरे पुष्प चड़ाउ
हे रघुबर .......
बोए शोभित हे जगजननी चरण को चापत हे सूत अंजनी
चरणों में तेरे बलिहारी जाऊ
हे रघुबर.......
लखन लाल जी बिराजे दये भरत शतुघन बलि बलि जाये
में भी बलिहारी तुम्हरे जाऊ
हे रघुबर.......
चरणों से निकली गंगा प्यारी वंदन करती दुनिया सारी
चरणों को तेरे सदा पखारू
हे रघुबर......
दीनजनो के आप हो मालिक दूर करो दुःख हे जग पालक
चरणों में तेरे शीश झुकाउ
हे रघुवर तेरी आरती गाउ
दीपांशु काठपाल
9782213145