हमें निज धर्म पर चलना बताती रोज रामायण,
सदा शुभ आचरण करना सिखाती रोज रामायण,
जिन्हें संसार सागर से उतर कर पार जाना है,
उन्हें सुख से किनारे पर लगाती रोज रामायण,
सदा शुभ आचरण करना ...........
कहीं छवि विष्णु की बाकी, कहीं शंकर की है झाँकी,
हृदय आनंद झूले पर झुलाती रोज रामायण,
सदा शुभ आचरण करना ...........
सरल कविता कि कुंजों में बना मंदिर है हिंदी का,
जहाँ प्रभु प्रेम का दर्शन कराती रोज रामायण,
सदा शुभ आचरण करना ...........
कभी वेदों के सागर में कभी गीता कि गंगा में,
सभी रस ‘बिन्दु’ में मन को दुबाती रोज रामायण,
सदा शुभ आचरण करना ...........