मेरी बिगड़ी बना दे तू

मेरी बिगड़ी बना दे माँ तू मेरी बिगड़ी बना दे तू ,
तू अपने भक्तो की मैया जी सुनती सदा,
है तलब मुझको तेरी नजर मुझपे हो,
देख ले मुझको ही माँ तेरा लाल हु,
सारा जीवन तेरे चरणों में वार दू ,
मेरी बिगड़ी बना दे तू ,

तेरे दरबार में सिर जुकाने से माँ,
मेरी शोहरत माँ पल पल यु बढ़ ती रही,
तेरी नजरो का मुझपे है माँ ये कर्म,
मेरी झोली सदा भर्ती रही,
मेरी बिगड़ी बना दे तू ,

माई तूने दिये मुझको घर बार है,
तूने सब के भरे माई भण्डार है,
माई तूने दिये मुझको तन और ये मन,
फिर क्या देरी है बिगड़ी बनाने में माँ,
मेरी बिगड़ी बना दे तू ,

तेरी आँखों का काजल बना ले मुझे,
जिस से नैनो में तेरे माँ वस्ता रहु
तेरे पैरो की पायल बना ले मुझे,
जिस से चरणों में माँ तेरे लिपटा रहु,
तेरे अंचल की मैया सदा छाव हो,
जिस की छाया में मैया स्वरता रहु,
मेरी बिगड़ी बना दे तू ,
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