चरण तोर करव बंदना मोर दुरगा दाई॥
चरण तोर करव बंदना....
रूप हर मन भावन लागे।देखत करम जस जागे।
गावत हव जस तोर अंगना....
बईठे हावस वो दाई, बघवा सवार मा
देवत हे रूप के सुरता,आज सुरतार मा
बरनत कतको झन थकगे,महिमा अपार मा
अरन बरन बगरे हे माया,पाहू कइसे पार मा
दाई अब तिही सहारा।जिनगी भर के पतवारा।
तर जातेन भवरी सगर मा....
ममता तोर सागर अइसन, गंगा कस पानी मा
मन आसा सबके पुरईया,दुरगा महारानी मा
जम्मो देवी देवता मा, चलथे तोर सियानी मा
कन कन मा तिही समाये, चौखुट चौखानी मा
बगरत हे निरमल धारा।गांव शहर पारा पारा।
नहा लेबो संग मा....
दस बिदिया हे महागौरी,सकती अवतार मा
बर साये मया सबो बर,करे उजीयार मा
दसो अंगूरी के बिनती हे,सुनले गोहार मा
निछमल आशीष के छईहा,रखबे संसार मा
सुमिरत हव संझा बिहिनिया।सत जुगहीन शारदा मईया।
गौतम ल रखबे शरण मा....
गायक-दिवेश साहू
संगीतकार-सेवक राम एवं अमर सेन्द्रे
रचनाकार-शेषनारायण "गौतम"गुरु जी
प्रेसक- जय माँ चण्डी सेवा एवं भजन मंडली
गांधी नगर लाखे नगर रायपुर छत्तीसगढ़