श्री श्याम धनी का तू होजा क्यों वर्थ उमर ये गवाता है,
कुछ भी न संग तेरे जाना सब माल यही पे रह जाना क्यों बात नही समज ये पाता है,
मतलब के है ये रिश्ते मतलब के है सब नाते,
सुख के है सब साथी दुःख में न संग निभाते,
श्री श्याम से प्रीत लगा अपनी क्यों दर दर धक्के खाता है,
कुछ भी न संग तेरे जाना सब माल यही पे रह जाना क्यों बात नही समज ये पाता है,
धन रुपिया और ये दोलत कुछ काम ना आएगा,
कर मोका फल ही प्यारे तेरे साथ में जाएगा,
श्री श्याम सुमीर कर कर्म भले क्यों बंदे देर लगाता है,
कुछ भी न संग तेरे जाना सब माल यही पे रह जाना क्यों बात नही समज ये पाता है,
श्री श्याम नाम पावन जो लोग जपा करते है,
दुःख और संकट उनके सन्मुख आके डरते है,
यमराज भी न उस और चले जिसे अपना श्याम बनाता है ,
कुछ भी न संग तेरे जाना सब माल यही पे रह जाना क्यों बात नही समज ये पाता है,