कोई भूल हो तो मुझे टोकना,
मगर श्याम अपनी किरपा नहीं रोकना,
तेरे चरणों की धूल से ही सांवरे मुझको जीने का आया सलीका,
फर्क सच झूठ का तेरी किरपा से ही मैंने इस जग में सांवर सीखा,
मेरी झूठ से तू रहे नहीं जोड़ना,
कोई भूल हो तो मुझे टोकना.....
एक कतरा था मैं तो ज़मीन का मगर तेरी रेहमत का आकाश पर हु,
तूने जब से फ़िक्र की मेरे सांवरे हर चिंता से मैं बेफिक्र हु,
कभी साथ मेरा तू नहीं छोड़ना,
कोई भूल हो तो मुझे टोकना
तेरे आगे सदा हाथ फैले रहे मेरी औकात इतनी ही रखना,
ना किसी यार के आगे फैले कही श्याम इतनी दया सिर्फ करना,
मेरी आंख के आंसू तुम्ही पोंछना
कोई भूल हो तो मुझे टोकना