क्यूं घबराता है बावरे क्यों रहता है उदास,
तेरा साथी मुरली वाला बैठा है तेरे पास,
क्यूं घबराता है बावरे.......
ढूंढ रहा है इधर उधर और बिन मतलब हैरान है,
तुमसे दूर नहीं है कान्हा फिर भी तू परेशां है,
तेरे दिल की कुटिया में ही मेरे कान्हा का नावास,
क्यूं घबराता है बावरे...
भक्त पुकारे वो नहीं आये ऐसा अब तक हुआ नहीं,
ऐसा कैसे हो सकता है उसने सहारा दिया नहीं,
वो दुखियो का साथी है और भक्तो का है दास,
क्यूं घबराता है बावरे.......
तुमसे जयदा चिंता उसको घडी घडी तुझे देख रहा,
भक्त का कष्ट मिटाऊ कैसे घडी घडी वो सोच रहा,
तेरे अच्छे दिन आये गे तू बिलकुल न हो उदास,
क्यूं घबराता है बावरे.........
आँखों से वो भक्त को देखे हाथो से नाव चलता है,
बनवारी नंगे पाँव दोहड़े भक्ति की लाज बचता है,
दरबार में सुनता है बस ये भक्तो की अरदास,
क्यूं घबराता है बावरे