दिल कैसे तुझको पाये करूँ कौंन सा यतंन,
रग रग में तूँ समाये,करूँ कौंन सा यतंन में,
दिल कैसे....
मैं ना समझ हूँ मोहन,मुझको समझ नहीं हैं,
क्या चाहता मेरा दिल, तूँ बै खबर नहीं है,
मुझको समझ जो आये,करूँ कौंन सा यतंन मैं
दिल कैसे....
ना ज्ञान मुझको मोहन,ना ध्यान जानता हूँ,
ना तेरे रिझनें का,सामान जानता हूँ,
दिल कैसे....
आँखों के पास हैं तूँ, आँखों को ना ख़बर है,
पहचान नें की तुझको,मेरे पास ना नज़र है,
मुझको नज़र तूँ आये,करूँ कौंन सा यतंन मैं
दिल कैसे....
बन जाये तेरा मन्दिंर, मेरे दिल का आश़ियाना,
नारंग की अर्ज़ तुमसे, मेरे दिल में आ समाना
बिनती तूँ मान जाये,करूँ कौंन सा यतंन
दिल कैसे....
लेख़क :-नारंग जी
स्वर :- धसका पागल जी
फोन :- 7206526000