मेरे हिरदये में बाबा तुम्हारी याद के दीप जलते रहे,
ऐसा लगता प्रीत की छर में छर छर इस जीवन में वहे,
मेरे हिरदये में बाबा तुम्हारी याद के दीप जलते रहे,
मन का पंशी उड़ चला है,
छोड़ धरती बदन की आग,
एसी प्रीत तुम से बाबा जैसे है ये चाँद चकोर,
सुनते तुमही से इन्ही कलो में बात दिल की तुम्ही से कहे,
आनंत अन्दन भरा भरा है पल भर की इन्ही यादों में,
बाबा तेरे मीठे स्वर घुलती है जब मेरे पराना में,
हम को बुलाये मीठे बदन में नजारे यही हम को कहे,
ऐसा लगता प्रेम की छर में छर छर इस जीवन में बहे,
मेरे हिरदये में बाबा तुम्हारी याद के दीप जलते रहे,