सोहने फुला वे गुलाब दिया,
किथे तनु सांभ के रखा मेरे गुरा दे भाग दिया,
सोहने फुला वे गुलाब दिया,
कोठे ते का बोले चिठ्ठी आई मेरे गुरा दी
विच संगत दा नाम बोले
सोहने फुला वे गुलाब दिया,
इस बेड़ी दा मला कोई न चरना च रखी मालका,
इस दम दा वसा कोई न,
सोहने फुला वे गुलाब दिया,
आटा गुण नि आ हाथ धो के साडे घर आओ गुरु जी दुःख दस्नी आ रो रो के,
सोहने फुला वे गुलाब दिया,
बुहा पलका दा धोवन दे,
गुनाह दा मैं भरी आ लग चरना न रोवण दे,
सोहने फुला वे गुलाब दिया,
रहे भुलैया नु पा दिता,
तेरे विचो रब वेख्या तनु सजदा मैं ता किता
सोहने फुला वे गुलाब दिया,