सतगुरु से डोर अपनी क्यूँ ना बावरे लगाए

सतगुरु से डोर अपनी क्यूँ ना बावरे लगाए,
ये सांस तेरी बन्दे फिर आये या ना आये,

दो दिन का है तमाशा ये तेरी जिंदगानी,
पानी का है बताशा पगले तेरी कहानी,
अनमोल जिंदगी को क्यों मुफ्त में गवाएं,
ये सांस तेरी बन्दे फिर आये या ना आये।
सतगुर से डोर अपनी .........

कल का बहाना करके तूने जिंदगी बिताई,
बचपन जवानी बीती बुढ़ापे की रुत है आई,
अब भी तू जाग बन्दे मौका निकल ना जाये,
ये सांस तेरी बन्दे फिर आये या ना आये।।
सतगुर से डोर अपनी.......

आये है लोग कितने आकर चले गए है,
कारून के जैसे कितने सिकंदर चले गए है,
माया महल खजाने ना साथ ले जा पाए,
ये सांस तेरी बन्दे फिर आये या ना आये,
सतगुरु से डोर अपनी.......
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