मेरे दिल की पतंग कट गई के मुरली वाला लूट ले गया ,
सँवारे कन्हैया से पेच लड़ाया था
पेच लड़ा के मैं तो बड़ा पछताया था,
मेरे डोर जाने कैसे फस गई के मुरली वाला लूट ले गया ,
काट दी पतंग मेरी प्रेम की डोरी से,
डोर में फसाई डोर कान्हा ने चोरी से,
इस छलियाँ की दाल गाल गई,
के मुरली वाला लूट ले गया,
अच्छा हुआ लूट के ले गया कन्हैया,
वर्ण लूट के ले जाती दुनिया,
इसे श्याम की शरण मिल गई,
के मुरली वाला लूट ले गया ,