जय जय रस बरसाने वारी, जय जय बरसाने वारी।
जय जय महाभाव रसवारी, जय जय नथ बेसर बारी।
जय जय प्रानहुँ ते प्यारी, जय जय प्यारी बलिहारी।
जय जय मोहन मोहिनि प्यारी, जय जय अति भोरी प्यारी।
पतित पावनी तुम बिनु प्यारी, कोउ नहिं है त्रिभुवन प्यारी।
भली बुरी जैसी हूँ प्यारी, हूँ तो तेरी सुकुमारी।
तोहिं तजि जाऊँ कित सुकुमारी, पता बता दे मम प्यारी।
तू तो थी बिनु हेतु सनेहिनि, अब क्यों निठुर भई प्यारी।
ब्रजरस बूँद पिला दे प्यारी, घटे न कछु तव सुकुमारी।
छोडूं नहिं पाछा हौँ प्यारी, चाहे जो हो सुकुमारी।
सुधि लो 'कृपालु' मम प्यारी, अति कृपालु तुम सुकुमारी।
पुस्तक : ब्रजरस माधुरी-1
कीर्तन संख्या : 35
पृष्ठ संख्या : 74
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