मैं पाप का पुतला हु

मैं पाप का पुतला हु तू दया की मूरत है,
मैं याचक तू दानी मुझे तेरी जररूत है,
मैं पाप का पुतला हु तू दया की मूरत है,

संसार कहु दाता माया में लिपटा हु,
पग पग पे कपट करू पापो में उलझा हु,
मैं भूल गया चलती याहा तेरी अदालत है,
मैं पाप का पुतला हु तू दया की मूरत है,

तू हाकिम मैं मुजरिम कर माफ़ गुन्हा मेरे,
इस बार बरी कर दे लो शरण पड़ा तेरे,
फरयादी को मिलती याहा तेरी इनायत है,
मैं पाप का पुतला हु तू दया की मूरत है,

हे दीं बंधू मेरी कर माफ़ खता प्रभुवर,
ले हर्ष पकड़ बाहे आ गे का रस्ता कर,
इस दीं की हस्ती तो याहा तेरी बदौलत है,
मैं पाप का पुतला हु तू दया की मूरत है,
download bhajan lyrics (702 downloads)