सेठ निराला है,
क्या कहना बाबा श्याम का,
दरबार ये निराला है,
मेरे खाटू वाले श्याम का,
तू तो ग्यारस को जाना दुखड़े अपने सुनाना,
इक अर्जी लगाना इक वारी,
तेरी बिगड़ी बनाये गले अपने लगाए तेरे दुखड़े मिटाये श्याम बिहारी,
मुझे इसने ही सम्बला है,
क्या कहना बाबा श्याम का,
सेठ निराला है
इसको जिसने पुकारा दिया उसको सहारा,
किया उसको वारा न्यारा मेरे श्याम ने,
मन में जिसने वसाया दिल से जिसने रिजाय,
उसको को अपना बनाया मेरे श्याम ने,
ये सबका प्रति पाला है,
क्या कहना घनश्याम का,
सेठ निराला है
जो भी आया सवाली भर दी झोली उसकी खाली,
उसकी बाते न टाली सरकार ने,
हार के जो भी आया उसका संकट हटाया,
अपना वधा निभाया सरकार में,
मेरा यही रखवाला है,
क्या कहना मेरे श्याम का,
सेठ निराला है
जो भी हार के आता खुशिया बाबा से पाता,
उसे जीत दिलाता मेरा संवारा,
अपने प्यारो को प्यारा रविंदर को गुजारा,
देता हर पल सहारा मेरा संवारा,
ये तो मोरवी का लाला है,
क्या कहना खाटू धाम का,
सेठ निराला है