राधे की लग्न में मगन कृष्णा
बड़ती जाए पल पल तृष्णा
राधे के बिना जी नही लगता बंदन कैसा मुझे मन का
कुञ्ज गलियां में वृन्ध्वन में हर कही ढूंड लिया
कान्हा की दीवानी दुनिया कान्हा राधे का
रस्ते से नजर नही हट ती बेठा रहे वो डगर वो पनघट की
कभी मुरली भ्जाये उचे सुर में आ जाए कही श्याद सुन के
यमुना किनारे मधुवन सारे हर कही ढूंड लिया
कान्हा की दीवानी दुनिया कान्हा राधे का
श्याम वर्ण को मिलाये गयो है रंग अनोखा छाए गयो है
बैह्का बैह्का खोया खोया इक ही धुन में घूम रहता
गोवर्धन और निधि वन में हर कही ढूंड लिया
कान्हा की दीवानी दुनिया कान्हा राधे का
ये कैसा प्रेम कन्हिया का गिरधारी रास रचईया का
लीला धर की अद्भुत लीला साहिल कोई न समज सका
कृष्ण रिजाना है तो भज ले नाम तू राधे का
कान्हा की दीवानी दुनिया कान्हा राधे का