आरती उतार लो सीता रघुवर जी की
लक्ष्मण भरत शत्रुघ्नन के संग पवन तने जी की
आरती उतार लो सीता रघुवर की
राज सिंगासन पर बेठे है साथ सीता मैया
हनुमंत सेवा में विराजे संग है सारे भैया
देख छवि मन मोहित होता लीला धर जी की
आरती उतार लो सीता रघुवर की
राज मुकट माथे पे सोहे धनुश वां धारी
बाजू बंध पिताम्भर माला कुंडल की छवि न्यारी
कमल नैन शामल वर नाशी रघुनायक जी की
आरती उतार लो सीता रघुवर की
शबरी एहिल्या केवट और बिबिशन तारण हारे
रावन अहिरावन खर दूषण कुम्ब कर्ण मारे
अवतारी है हित कारी हरी दुष्ट दलन जी की
आरती उतार लो सीता रघुवर की
पूरण राम दरबार में गणपति शिव शंकर भी सोहे
ब्रह्मा नारद गुरु देवा भी जन जन का मन मोहे
मांस पटपर झांकी अंकित राम सिया जी की
आरती उतार लो सीता रघुवर की
किस विधि कहे तुम्ही महिमा समज नही आये
बस तुम से है इक प्राथना अचल भगती मिल जाए
करुना माये है राम रमा पति रघुनंद जी की
आरती उतार लो सीता रघुवर की
मोसम दीं न दीं हित तुम सम्मान रघुवीर
अस विचार रघुवीर वंस मुनि हरु ही भिश्म्भ्र भीर
काम ही नारी पिया रिजी मी लोभी प्रीत निधाम
टिम रघुनाथ निरन्तरं प्रिये लागो मोहे राम
आरती उतार लो सीता रघुवर की