राम सिया राम सिया राम जय जय राम,
मंगल भवन अमंगल हारी
द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी,
राम सिया राम सिया राम....
दीन दयाल बिरिदु संभारी
हरो नाथ मम संकट भारी,
राम सिया राम सिया राम.....
होइहै वही जो राम रचि राखा,
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा,
राम सिया राम सिया राम.....
जाकी रही भावना जैसी,
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी
राम सिया राम सिया राम....
जा पर किरपा राम की होई,
ता पर किरपा सबकी होई,
राम सिया राम सिया राम....