मेला आया सवान का भोले के दर चलो
हरी की पोड़ी मार के डुबकी कावड काँधे धर लो
मेला आया सवान का भोले के दर चलो
हरी लाल नीली पीली सज रही कावाड हो रही बम बम बोले
ऋषि केश हरिद्वार में डोले कवाडीयो के टोले
मनसा चंडी नील कंठ के दर्शन पावन करलो,
मेला आया सवान का भोले के दर चलो
जल्दी है सुने वाले भोले शिव भोले भाले देवो में देव निराले
मन के दयाल है करे माला माल है सब को ही डमरू वाले,
ओगड़नाथ के द्वारे आ के झोली अपनी भर लो
मेला आया सवान का भोले के दर चलो
सावन की बहार में बुंदू की फुहार में कावाड जो भी उठाये,
शिव काशी नाथ की बाबा भोले नाथ की दया अनोखी पाए
गिरजा पति शिव किरपा करेगे शरण में उनकी चलो
मेला आया सवान का भोले के दर चलो