सुबह सुबह जो नाम जपेगा शिव भोले भंडारी का,
माँ गौरा पल में हरण करेगी मन की चिंता सारी का......
औघड़ दानी नाम पड़ा है सबके दाता भोले का,
जोड़ कै नाता दास बनेगा जो भी विधाता भोले का,
अमृत वर्षा कर देता है प्यार मेरे गंगधारी का.....
ब्रह्मा विष्णु से भी पहले शिव जी बिगड़ी बनाते है,
उनकी बिगड़ी बनती है जो सच्ची प्रीत लगाते है,
सुखद संदेशा आ जाता है नंदी बैल सवारी का.....
कमल सिंह जल सुमिरन कर लो देर कही ना हो जाए,
बंदा वही काम का है जो शिव भक्ति में खो जाए,
ज्यादा मोह ना अच्छा होता झूठी दुनियादारी का.....