एह वतन हम को अपने राम की कसम

एह वतन हम को अपने राम की कसम,
रखेगे तेरी आबरू हम जन्म जन्म जन्म
यही हमारा कौन है  यही तो है धर्म
जान तुझमे वार देंगे वन्दे मातरम
एह वतन एह वतन

ये मुल्क फरिश्तो का ऋषियों का मुनियों का
कोयल की मधुर तान है और राग है चिडियों का
सोने की चमकती है धरती है याह जन्नत है
सीने में हर इक शख्श के इक रार महोबत है
हर इक बशर जिसका जाबाज सिपाई है
तरीक जमाने की सदियों की गवाही है
एह वतन एह वतन

अजमत है याहा सब की सूरज की सितारों की
पुशीद के बचो के महताब के पैरो की
है शोख जमी अपनी ये रंग हजारो की
कुछ रंग बहारो की खुशबु है चिनारो की
पुर जोश है दिल अपने फोलाद बुजाये है
मजबूत इरादे है चोकनी निगाहे है
एह वतन एह वतन
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