चूहा तेरा गौरा के लाल मुशक तेरे गोरा के लाल मेरी कुटियाँ में आ कर के,
चावल संग मोग की दाल तरी गया चट खा कर के 
हमने तो बनाया था लड्डू पेडे तेरे लिये,
हलवा भी बनाया था हे घनानन तेरे लिए 
वाहन तेरा खुश हो गया ये पकवान पा कर के  
मुशक तेरे गोरा के लाल मेरी कुटियाँ
हम तो मंगाई थी इक धोती तुम्हारे लिए 
हार में पिरो थे कई मोती तुम्हारे लिए 
सब कुछशाक लिया पल भर में वो जा कर के 
मुशक तेरे गोरा के लाल मेरी कुटियाँ
मुश्क तेरा चंचल है उसे तुम ही मना लेना 
रुखा सुखा जो भी बचा उसे भोग बना लेना 
करो किरपा तुम हम पे भी बेठ मुस्क घर आ कर के 
चूहा तेरे गोरा के लाल मेरी कुटियाँ