है तू मंगल मूर्ति

है तू मंगल मूर्ति,देवा कामना पूर्ति,
रिधि सीधी के स्वामी देवा

प्रभु नित करे अराधना मेरे कंठ में संगीत दे,
हम है याशक तुम हो दाता भगती का आशीष दे,
हे मेरे गणपति देवा सिद्ध करो सब की सेवा,

विख्ले स्वर विघन हरता देवा विघन के राज है,
चतरबुज गनो के राजा देवा राजा भी राज है
हम तो है अज्ञान प्रभु हमें ग्यानी गुण के सीख दे,
हम है याशक तुम हो दाता भगती का आशीष दे,
हे मेरे गणपति देवा सिद्ध करो सब की सेवा,

तेरे चरणों में विराजे रिधि सीधी देवियाँ
लोब सुध सूत दो है प्यारे तुम याहा सब सिधिया,
हम प्रजा है तेरी देवा तू दया की भीख दे
हम है याशक तुम हो दाता भगती का आशीष दे,
हे मेरे गणपति देवा सिद्ध करो सब की सेवा,

शीश कंचन मुकट श्री इक दंत की प्रतिमा बड़ी
शुप कण चतुर बुजी देवेश की महिमा बड़ी
हम प्रजा है तेरी देवा तू दया की भीख दे
हम है याशक तुम हो दाता भगती का आशीष दे,
हे मेरे गणपति देवा सिद्ध करो सब की सेवा,
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