ओ सुनो न प्राथना मेरी हे भोले दर्श दिखला दो,
भटकते है पुरखे है मेरे हे भोले पार लग वा दो,
ऋषि की शाप में जल कर भटक ते है पुरखे है सारे
तुम्हारे बिन ओह शिव भोले कौन पुरखो को अब तारे,
जटा में गंगा को धर के भगत की लाज बच वा दो
सुनो न प्राथना मेरी हे भोले दर्श दिखला दो,
है ब्रह्मा विष्णु बतला ते माँ गंगा कावेग भारी
है केवल इक शिव भोले जो बन सकते गंगा धारी
भटकता भव में भागी रथ ये नईया पार लगा दो
सुनो न प्राथना मेरी हे भोले दर्श दिखला दो,
सुनी ना प्राथना मेरी यही मैं भोले मर जाऊ
मैं काटू शीश को अपने तेरे चरणों में धर जाऊ
धरो तुम शीश में गंगा ये चन्दन काम कर वा दो
सुनो न प्राथना मेरी हे भोले दर्श दिखला दो,