तन में मन में रोम रोम में बेठे है
सिया राम जी मेरे राम जी
वाह रे वाह रे हनुमान जी
सिया राम की भगती करेगा जीवन सुख ही सुख पायेगा
भव बंधन सब दूर हटेगा मन प्रभु चरणों में जाएगा
फिर बोलो सिया राम जी बैठे है सिया राम जी
वाह रे वाह रे हनुमान जी
जो भी इनकी शरण में आये
उसके सब दुखड़े मिट जाए
एसी दृष्टि बजरंग डाले राम प्रभु की भगती पाए,
फिर बोलो सिया राम जी बैठे है सिया राम जी
वाह रे वाह रे हनुमान जी
मेरी भी बस आस यही है राम दर्श की प्यास यही है,
हे हनुमत मेरा काम करा दो राम जी से मुलाकात करा दो,
फिर गाऊ सिया राम जी राम जी बैठे है सिया राम जी
वाह रे वाह रे हनुमान जी