वर दीजे हनुमान

वर दीजे हनुमान ह्रदय में,
ज्ञान की ज्योत ये जलती रहे,
जहाँ तलक जाए मेरी द्रष्टि,
आपकी मूरत दिखती रहे,
वर दीजे हनुमान ह्रदय में।।


नित्य प्रति हरपल यूँ निरंतर,
आप ही को प्रभु ध्याऊँ मैं,
जब भी विपदा आए कोई तो,
शरण तिहारी आऊ मैं,
आपके चरणों में यूँ रहकर,
श्रध्दा पल पल बढती रहे,
जहाँ तलक जाए मेरी द्रष्टि,
आपकी मूरत दिखती रहे।
वर दीजे हनुमान ह्रदय मे.......


मन व्याकुल हो या हर्षाए,
सदा रहूँ मैं एक समान,
भाग्य लिखी को मैं स्वीकारू,
समझ विधि का यही विधान,
साहस और पराक्रम की सब,
सिख आपसे मिलती रहे,
जहाँ तलक जाए मेरी द्रष्टि,
आपकी मूरत दिखती रहे।
वर दीजे हनुमान ह्रदय मे.......


आप सत्य के ही प्रतिक है,
संतो से सुनता आया,
बहुरूप है निर्भीक है,
बड़ी प्रबल सुन्दर काया,
आपके गुण चतुराई की पूंजी,
भक्तो में भी बंटती रहे,
जहाँ तलक जाए मेरी द्रष्टि,
आपकी मूरत दिखती रहे।
वर दीजे हनुमान ह्रदय मे.......


लगन आपमें रहें यूँ मेरी,
और ना हो कोई मन में,
शीश झुकें तो बस हनुमत,
केसरी नंदन के चरणों में,
एक बार लगे धुन जो आपकी,
दिन दिन दुगनी बढ़ती रहे,
जहाँ तलक जाए मेरी द्रष्टि,
आपकी मूरत दिखती रहे।
वर दीजे हनुमान ह्रदय मे.......


सुनते है प्रभु तुम ही केवल,
राम भक्त कहलाते हो,
सच्चा भक्त पुकारे तो तुम,
जलधि लांघ कर आते हो,
युगयुग तक सियाराम के संगसंग,
आपकी पूजा चलती रहे,
जहाँ तलक जाए मेरी द्रष्टि,
आपकी मूरत दिखती रहे।

वर दीजे हनुमान ह्रदय में,
ज्ञान की ज्योत ये जलती रहे,
जहाँ तलक जाए मेरी द्रष्टि,
आपकी मूरत दिखती रहे,
वर दीजे हनुमान ह्रदय में।।
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