बाबा जी खोलीवाला मनमोहन भोला भाला
मैं तो हुई रै कुर्बान देखि है जबसे शान
पर्वत के ऊपर डोले बालक का रूप धरके
धीरे धीरे मुसकाये आखों मैं प्यार भरके
मैं तू दीवानी हो गयी पीछा छूटेगा मरके
सूरत थी भोली भोली कोयल सी मीठी बोली
मार गयी मुसकान देखी है जबसे शान
छोटी छोटी थी गैया छोटी सी लाठी पटके
छोटे छोटे थे संग में सारे वो ग्वाले हटके
छोटी सी बजा मुरलीया नाचे कूदे और मटके
लटकै थी लटा सुनहरी पीपल की छाया गहरी
तोड़ रहे थे तान देखी है जबसे शान
मोटे मोटे थे नैन जिनमे काजल का डोरा
पीताम्बर ओढ़ रखा था श्यामल सा गात किशोरा
तिरछी थी नजर ये प्यारी लेवै था गात हिलोरा
छोरा वो नन्द का लाला बन आया खोलीवाला
खुद कृष्ण भगवन देखी है जबसे शान
मैं तो रह गयी देखती बाबा की अदभुत माया
दासी को दर्श दिखाए पुलकित हो गयी थी काया
रटता हरेराम बैसले प्रियंका भजन सुनाये
आया दो दिन को प्राणी बन्दे तजदे नादानी
धर बाबा का ध्यान देखी है जबसे शान