मैं तेरे कदमों में पनाह चाहता हूं

बक्शी हैं तूने मुझे जो नवाजिशें
हुई हैं पूरी सब मेरी ख्वाहिशें
करूँ कैसे तेरा मैं शुक्राना अदा
कर दूं जिंदगी तेरी ठोकरों पे फिदा

और कहाँ मिलेगी बसर इनके सिवा
मैं तो तेरे कदमों में पनाह चाहता हूँ
हो जाए मुझ पर तेरी रहमतों का असर
खुद पे तेरी करम ए निगाह चाहता हूँ
तेरे दर पे मालिक मिले जो ठिकाना
बहुत कुछ है दिल में है वो बताना
कुछ सुनना और सुनाना चाहता हूँ
खुद पे तेरी करम ए निगाह चाहता हूँ
हो जाए मुझ पर तेरी रहमतों का असर
मैं तो तेरे कदमों में पनाह चाहता हूँ
तमाम उम्र कर दूं तेरे हवाले ए
बख्शने वाले मुझे ज़िन्दगी की नेमत
हर सूरत ए हाल में मैं होके रहूं तेरा
तूने निभाया मै भी निभाना चाहता हूँ
मुझे करने वाले दिल से मोहब्बत
ता जिन्दगी मिले तेरी ही सोहबत
प्यार तुझसा मैं भी जताना चाहता हूँ
खुद पे तेरी करम ए निगाह चाहता हूँ
हो जाए मुझ पर तेरी रहमतों का असर
मैं तो तेरे कदमों में पनाह चाहता हूँ
सजदे में हूँ वफ़ा करने को हासिल
दीदार ए उल्फ़त की दुआ चाहता हूँ
समझ मुझको तू बंदगी के काबिल
बंदा मैं तेरा बस हुआ चाहता हूँ
राजीव की हो जो इल्तज़ा कबूल
हो जाए जो मुआफ़ मेरी हर भूल
गुनाह ए कर्म की क़ज़ा चाहता हूँ
खुद पे तेरी करम ए निगाह चाहता हूँ
हो जाए मुझ पर तेरी रहमतों का असर
मैं तो तेरे कदमों में पनाह चाहता हूँ
राजीव त्यागी
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