तेरी महफ़िल के दीवाने नशे में चूर रहते है॥
वो इस दुनिया में रहकर ॥,भी सभी से दूर रहते है,
तेरी महफ़िल के दीवाने नशे में चूर रहते है॥
जुल्फ देखी है नजरो ने गटा देखी है॥,
लुट गया जिसने भी तेरी यह अधा देखी है॥,
अपने चहरे को ना छुपाना प्यारे , मुद्तो बाद बड़ी योंइद्बा देखी है॥
गुरु चरणों मैं आ कर के मिटा है मोह का बंदन॥
बेठे हो या चलते हो , प्रबु के नाम का सिमरन,
जिह्दर पड़ती नजर उनकी ख्याले नूर रहते है॥