कान्हा कैसी प्रीत लगाई

कान्हा कैसी प्रीत लगाई,
बिनु सुमिरन तड़पत मन मोरा,
जल बिनु मीन की नाई,
कान्हा कैसी प्रीत लगाई......

राधा मीरा दोनों की गति,
अब मोहें समझ में आई,
कान्हा कैसी प्रीत लगाई......

मोरे मन मंदिर में बैठा,
तोरी हरपल लेऊँ बलाई,
कान्हा कैसी प्रीत लगाई......

अब दूर न मोसे जाना कान्हा,
बस चाहूँ तोरी ठकुराई,
कान्हा कैसी प्रीत लगाई.....

श्रेणी
download bhajan lyrics (1142 downloads)