धुन- अरे द्वारपालों
( देखो देखो यह बाराती,
यह बारातियों का हाल,
बैल पे चढ़ क़र मेरे, भोले नाथ आए हैं l
अंधे काने और लूले लंगड़े,
संग में बाराती लाए हैं l )
योगी भेस धरकर, नंदी पे चढ़कर ll,
''गौरां को व्याहने भोले, नाथ आ गए हैं'' l
हाँ,,,देख देख दूल्हा, और बाराती ll,
''राजा हिमाचल मैना, घबरा रहे हैं'' l
हो,,,योगी भेस धरकर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हो देख करके, दूल्हा सखियाँ, घबरा गई हैं,
"दौड़ी दौड़ी गौरां के, पास आ गई हैं" हाँ,,, ll
बोली सखियाँ जाकर, दूल्हा सौ बरस का ll,
''मुँह से बाहर उसके, दाँत आ रहे हैं'' l
हो,,,योगी भेस धरकर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हो माथे पे चँदा, जट्टा में है गंगा,
''भस्म रमाए भोला, मस्त मलंगा" हाँ,,, ll
भूत प्रेत सारे, ढोलक बजाएँ ll,
''शुक्र शनिचर, नाच गा रहे हैं'' l
हो,,,योगी भेस धरकर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हो हाथ जोड़ करके, बोली गौरां प्यारी,
"रूप दिखाओ असली, भोले भंडारी" हाँ,,, ll
सत्रह बरस के, बने भोले बाबा ll,
''लोहिया कहे यह मेरे, मन भा गए हैं'' l
हो,,,योगी भेस धरकर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल