बंशी ऐसी बजायी मेरे श्याम ने ,
प्यारी धुन को सुना तो मजा आ गया ....
अपनी सुध बुध भुलाके सभी गोपियां
सांवरे रंग समाई मजा आ गया
जादुगारी है बंशी की धुन श्याम की
सुन घटा गिर के छाई मजा आ गया !!
तीनों लोकों में धुन बंशी की छा गयी
देव नर नारी सब ऋषियों को भा गयी॥
यमुना का जल रुका , चाँद ठहर गया ॥
देख एसा नजारा , मजा आ गया !! बंशी ऐसी बजायी मेरे श्याम ने
हरे बांशो की बांसुरियां मन भा गयी
ढलती रात बजी दिल को तरसा गयी ॥
एसी लचक निराली मेरे श्याम की ॥
राधा हो गयी दीवानी , मजा आ गया !! बंशी ऐसी बजायी मेरे श्याम ने
वारी वारी मैं जाऊं तेरी बंशी पे
‘‘ लाल निरंजन ’’ बलिहारी तेरी बंशी पे॥
रोज सिमरण करूं तेरा ध्यान धरुं॥
दर्शन श्यामा का पाऊं , मजा आ गया ॥ बंशी ऐसी बजायी मेरे श्याम ने