बाघम बरम भस्माम बरम,
जटा जूट निवास आसन जमाए बैठे है, कृपासिंधु कैलाश
भोले तेरी जटा में, बहती है गंग धारा,
काली घटा के अंदर,
देव दामिनी उजाला
भोले तेरी जटा में बहती है........
गले मुंड माला राजे, शशि भाल में विराजे
डमरू निनाद बाजे,२ कर में त्रिशूल भाला
भोले तेरी जटा में बहती है........
प्रभु दीन पे जरा सी, कटिबंध नागफासी,
गिरजा है संग दासी,२ सब विश्व के आधारा
भोले तेरी जटा में बहती ..........
मृग चरम वसन धारी, बृष राज पे सवारी,
भक्तों के दु:ख हारी,२ कैलाश में विहारा
भोले तेरी जटा में..….....
शिव नाम जो उच्चारे,सब पाप दोष टारे,
ब्रह्मानंद ना विसारे,२ भव सिंधु पार तारा
भोले तेरी जटा में.........
भोले तेरी जटा में ,बहती है गंग धारा
काली घटा के अंदर, देव दामनी उजाला
भोले तेरी जटा में...........
सिंगर - भरत कुमार दबथरा