सजा दो दर को फूलो से माँ का नवरात्र आया है,
माँ का नवरात आया है
समप्रदा कीर्ति यश भेभव सुख समृधि लाया है,
सजा दो दर को फूलो से माँ का नवरात्र आया है
पखारो माँ के चरणों को बहादों प्रेम की गंगा
विशादों फूल पलकों से माँ का नवरात आया है,
सजा दो दर को फूलो से माँ का नवरात्र आया है
देख कर अपनी मैया को मेरी आँखे भी भर आई
हुई रोशन मेरी गलियां माँ का नवरात आया है,
सजा दो दर को फूलो से माँ का नवरात्र आया है
बना कर भोग हाथो से हे माँ मैं तुझे खिलाउगा
रहेगा सेवा में देविंदर
माँ का नवरात आया है
सजा दो दर को फूलो से माँ का नवरात्र आया है