अपनी बेहन के प्यार को भैया न बुलाना
आ जाओ तुम भाई दूज पर दिल न मेरा दुखाना
अपनी बेहन के प्यार को भैया न बुलाना
अपना पूरा बचपन साथ साथ है बीता,
ना कोई भी हारा और न कोई जीता,
कभी दूर हो भैया तुमसे माथे तिलक सजाना
अपनी बेहन के प्यार को भैया न बुलाना
बंधन है ये प्यार का है सब से अनमोल,
इन्तजार है तेरा भैया कुछ तो बोल
रूठा भी है अगर तू मुझसे आता है मुझे मनाना
अपनी बेहन के प्यार को भैया न बुलाना
पूनम के हाथो में सजी हुई है थाली,
आ जाओ राजू भईया शुभ घडी निकलने वाली
तेरे मेरे प्यार को नजर लगाये न ये जमाना
अपनी बेहन के प्यार को भैया न बुलाना