हे दीनबंधु दयालु प्रभु तू गरीब नवाज है
तेरे सिवा मेरा नहीं प्रभु हमको तुम पर नाज है
हर श्वास धड़कन में तू ही विद्वान वेदों ने कही
यह बात बिल्कुल है सही कण कण में तेरा राज है
निर्धन का धन निर्बल का बल दुखियों का तू आधार है
तू है बादशाह का बादशाह तेरे हाथ में मेरी लाज है
किससे कहूं और कौन सुने वह कौन सा दरबार है
यह दरस है मेरा वास्ता तु सबके सिर का ताज है
आदि मध्य और अंत में त्रिकाल तेरा आसरा गिरधर
कहे गोविंद मेरा तू ही साज और तू ही आवाज है