मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की,
जाऊगी बैठ के डोली साजन की,
मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की,
मैं तेरी द्रोपती तू मेरा कन्हियाँ,
बहना को भूल न जाना ओ मेरे भइयां,
याद न भूलना रक्षा बंधन की,
मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की,
एह मेरी मैया क्यों रोती है,
बेटी पराया धन होती है,
राजा की हो या निर्धन की,
मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की,
चले है कहा मेरी डोली उठा के,
करदो विदा मुझे शगुन गीत गा के,
याद न भूलना मेरे बचपन की,
मैं गुड़ियाँ तेरे आंगन की,