जब से तुम संग लो लगाई में बड़ी मस्ती में हूँ ॥
करके तुम संग आशनाई में बड़ी मस्ती में हूँ ॥
छा गई आँखों में दिल में बस तेरी दीवानगी
तुं ही तुं बस दे दिखाई में बड़ी मस्ती में हूँ।
बांकी चितवन सांवरी मनमोहनी सुरत तेरी
जब से दिल में है समाई में बड़ी मस्ती में हूँ।
अब तलक है गूंजती बांसुरी ये रसमयी ।
तान जो तुमने सुनाई में बड़ी मस्ती में हूँ ।
न मज़ा सुख में न दुःख में दर्द का अहसास है
वैद तुं तुं ही है दवाई में बड़ी मस्ती में हूँ ।
न तमन्ना दौलतों की शोहरतों की दास को
नाम की करते कमाई में बड़ी मस्ती में हूँ ।
जब से तुम संग लो लगाई में बड़ी मस्ती में हूँ ।