सुन ऋ यशोदा मैया तेरा लला बड़ा सताता है,
जाके मेरे पीछे छुप के वो आँख बड़ी मटकाता है,
छुप के छुप के तरवर के ऊपर बैठे है कदम पर,
हम गोपी संग कैसे जाए तुम बोलो यमुना पर
बस कहती हु आखिरी बारी नखरे मुझ को न बाता है
जाके मेरे पीछे छुप के वो आँख बड़ी मटकाता है,
इस का मेरा कोई मेल नहीं ये नखरे बड़े बारी रे,
ना तो अब पिटवाओ गी इस को तू अब समजा दे रे,
इस का जादू चले न मुझपे क्यों ये मुझको सताता है,
जाके मेरे पीछे छुप के वो आँख बड़ी मटकाता है,